प्रधानमंत्री मोदी की घाना यात्रा और भारत-घाना संबंधों का नया अध्याय

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By preethvilok.com


प्रस्तावना

जुलाई 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घाना यात्रा केवल एक औपचारिक कूटनीतिक कार्यक्रम नहीं थी, बल्कि यह अफ्रीका में भारत की रणनीतिक भागीदारी की एक नई परिभाषा थी। यह यात्रा तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली घाना यात्रा थी, और इसने भारत-घाना संबंधों को आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से एक नई ऊंचाई प्रदान की।

🇮🇳🤝🇬🇭 रणनीतिक साझेदारी की ओर बढ़ता कदम

दोनों देशों ने अपने संबंधों को एक “समग्र साझेदारी” (Comprehensive Partnership) में परिवर्तित करने का निर्णय लिया, जो नियमित उच्च-स्तरीय संवाद और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को संस्थागत स्वरूप देता है। यह सिर्फ कूटनीतिक संवाद नहीं, बल्कि स्थायी और दीर्घकालीन रणनीतिक साझेदारी की बुनियाद है।

📈 व्यापार और आर्थिक सहयोग को नई गति

दोनों राष्ट्रों ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में यह व्यापार $3 बिलियन डॉलर को पार कर चुका है और भारत की घाना में निवेश राशि $2 बिलियन से अधिक है, जो लगभग 900 परियोजनाओं में फैली हुई है।यह कदम कृषि तकनीक, फिनटेक, खनन और उच्च शिक्षा जैसे क्षेत्रों में व्यापक अवसरों के द्वार खोलता है।

🛡️ साझेदारी के माध्यम से सुरक्षाकी नीति:

इस यात्रा में रक्षा और सुरक्षा सहयोग को भी नए स्तर पर ले जाया गया। “Security through Solidarity” यानी “एकता के ज़रिए सुरक्षा” के सिद्धांत पर आधारित इस साझेदारी में, समुद्री सुरक्षा, सैन्य प्रशिक्षण, रक्षा आपूर्ति श्रृंखला और साइबर सुरक्षा में सहयोग शामिल है।

🖥️ डिजिटल अवसंरचना और प्रौद्योगिकी सहयोग:

भारत ने घाना को Unified Payments Interface (UPI) जैसी डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना उपलब्ध कराने की पेशकश की, जिससे घाना के फिनटेक और डिजिटल भुगतान क्षेत्र में क्रांति आ सकती है।यह डिजिटल कूटनीति तकनीकी लोकतंत्र और समावेशी नवाचार का प्रतीक बनकर उभरी।

🌿स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग:

भारत और घाना ने आयुर्वेद और वैकल्पिक चिकित्सा पर सहयोग के समझौते किए, और साथ ही घाना को टीका निर्माण का क्षेत्रीय केंद्र बनाने की दिशा में प्रतिबद्धता जताई। यह स्वास्थ्य और औषधि क्षेत्र में भारत की वैश्विक नेतृत्व की भूमिका को और मज़बूत करता है

🎭 सांस्कृतिक और शैक्षिक आदानप्रदान:

एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (Cultural Exchange Programme) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें कला, संगीत, नृत्य, साहित्य और परंपरा में साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, शिक्षा के क्षेत्र में छात्रवृत्तियां, विश्वविद्यालय साझेदारी और शैक्षणिक संवाद को बढ़ावा मिलेगा।

⚖️ मानकीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण में सहयोग:

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और घाना मानक प्राधिकरण (GSA) के बीच हुए समझौते व्यापार की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाएंगे। यह दोनों देशों के व्यापारियों को वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धा योग्य बनाएगा।

🚨आतंकवाद के विरुद्ध साझा दृष्टिकोण:

दोनों देशों ने आतंकवाद को मानवता के लिए खतरा मानते हुए इस पर मिलकर काम करने का संकल्प लिया। यह वैश्विक शांति और स्थायित्व के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

    प्रतीकात्मक सम्मान और मान्यता:

प्रधानमंत्री मोदी को घाना का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया, जो इस यात्रा को केवल औपचारिक नहीं बल्कि अत्यंत सारगर्भित बना देता है। यह सम्मान भारत के प्रति घाना के गहरे विश्वास और दोस्ती का प्रतीक है।

📜 ऐतिहासिक बंधन और समकालीन सहयोग:

प्रधानमंत्री मोदी ने घाना की संसद में दिए गए अपने ऐतिहासिक भाषण में औपनिवेशिक विरासत, गुटनिरपेक्ष आंदोलन और दक्षिण-दक्षिण सहयोग की बात की। भारत और घाना वैश्विक दक्षिण (Global South) के दो महत्त्वपूर्ण स्तंभ बनकर उभरे हैं। यह यात्रा केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि भविष्य की साझेदारी का आधार बनी।

भारत और घाना ने अपने ऐतिहासिक संबंधों को फिर से परिभाषित किया और व्यापार, रणनीति, संस्कृति और तकनीक में सहयोग के नए क्षितिज तय किए। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-अफ्रीका संबंधों के एक नए युग का आरंभ है — एक ऐसा युग जो साझेदारी, समानता और समृद्धि के आदर्श पर आधारित है।

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