“प्रधानमंत्री मोदी की नामीबिया यात्रा और भारत-नामीबिया संबंधों का नया अध्याय”

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By preethvilok.com

🇮🇳🤝🇳🇦 भारत–नामीबिया: एक अवसरपूर्ण गठजोड़

७ जुलाई २०२५ की सुबह वाइंडहूक की ठंडी हवा में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति नेटुम्बो नांदी‑नदैतवाह की ओर बढ़े, तब यह सिर्फ एक शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि भारत‑अफ्रीका रणनीतिक पुनरुत्थान का आरंभ था।

पृष्ठभूमि: अफ्रीका में भारत की “Global South” भूमिका

भारत ने हमेशा अफ्रीका में कूटनीतिक गहराई बनाई है—नामीबिया उसका एक मुख्य स्तम्भ है। SWAPO मुक्तिदाता आंदोलन में भारत का समर्थन, १९९० में स्वतंत्रता के बाद दोनों देशों ने मजबूत द्विपक्षीय संबंध स्थापित किए ()। वाइंडहूक में पीएम मोदी का स्वागत, जो २७ साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था, सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि इतिहास में अक्षुरक्षित गहन योगदान का प्रतिफल था ()

१. एक आदर्शात्मक से रणनीतिक गठबंधन की यात्रा

तकनिकी एवं आर्थिक समझौते:

प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा को एक रणनीतिक आर्थिक संबंध में तब्दील करने का प्रयास किया। निम्नलिखित क्षेत्र कार्ययोजना में शामिल थे:

  • डिजिटल प्रौद्योगिकी: भारत ने UPI प्रणाली को नामीबिया में सितंबर २०२५ तक लागू करने की योजना बनाई  ।
  • ऊर्जा और खनिज संसाधन: नामीबिया की खनिज संपदा—जैसे हीरे, critical minerals और यूरेनियम—इन पर प्रतिबंधित नहीं बल्कि सामूहिक स्टॉक परिवर्तनों की दृष्टि से चर्चा हुई ()।
  • स्वास्थ्य और नेतृत्व पहलुओं: स्वास्थ्य और उद्यमिता क्षेत्र में दो MOU पर हस्ताक्षर, और NAMIBIA की परियोजना CDRI व Global Biofuels Alliance में भारत द्वारा प्रस्तावित भागीदारी  ।

यह बदलाव भारत के लिए सिर्फ विदेश नीति का हिस्सा नहीं, बल्कि उसकी आर्थिक सुरक्षा—विशिष्टकर rare earths, ऊर्जा, और critical infrastructure के दृष्टिकोण से—का भी संकल्प है।

 

२. राजनीतिक और सामाजिक आयाम

महिला नेतृत्व की ताकत सांस्कृतिक एकता:

राष्ट्रपति नांदी‑नदैतवाह अफ्रीका की पहली महिला राष्ट्रपति हैं (२१ मार्च २०२५ से कार्यभार संभाला)  । PM मोदी की उनसे यह पहली मुलाकात gender‑inclusive diplomacy का संदेश देती है। यह एक संकेत है कि भारत अब सिर्फ उत्पादन ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता के मूल्य भी साझा करना चाहता है। मोदी ने ज्ञात रूप से पारंपरिक नामीबियाई ड्रम बजाए, जिससे पारंपरिक संस्कृति के प्रति सम्मान व्यक्त होता है  । संसद में चीयर्स और “Modi Modi” के जयघोष ने यह साबित किया कि सार्वजनिक समर्थन स्थिर है ।

 

३. बहुआयामी रक्षा और सुरक्षा सहयोग

दोनों देशों ने डिजिटल सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, रक्षा, और समुद्री सुरक्षा पर गहन चर्चा की। उल्लेखनीय है:

  • भारतीय नौसेना की नामीबिया की Walvis Bay बंदरगाह में नियमित आवाजाही।
  • IAF और सेना के प्रशिक्षक नामीबिया में तैनात !

 

४. पर्यावरण और जीवन रक्षा: “चित्तों से भारत‑नामीबिया बाइंड”

भारत‑नामीबिया के बीच जो International Big Cat Alliance की पहल है, वहां आठ चीतों का Kuno National Park में ट्रांसफर संयुक्त पहल है । इसके साथ मोदी ने नामीबिया को आमंत्रित किया कि यह Project को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाए। CDRI में नामीबिया के शामिल होने से, यह अगला कदम है climate resilient infrastructure के निर्माण की दिशा में।

 

५. आर्थिक आंकड़ों की भूमिका और व्यापार कनेक्शन

२००० से २०२५ तक भारत‑नामीबिया के बीच व्यापार $3M से बढ़कर $600M पर पहुंचा—जैसे-जैसे UPI, निवेश, और संरचनात्मक सहयोग बढ़ेगा, व्यापार में बहुतेरी झलक में इजाफा संभव है  ।

मुख्य निवेश और व्यापार सहयोग क्षेत्र:

  • हीरों का व्यापार—भारत हीरा प्रसंस्करण ज़ोन है।
  • कृषि, फार्मा, शिक्षा, स्वास्थ्य, साइबर सुरक्षा सहित अनेक MoU तय किये गए ।

 

६. राजनीतिक दृढ़ता, वैश्विक सुरक्षा और वैश्विक दक्षिण मंच

PM मोदी ने इस यात्रा में पाकांग—उग्रवाद, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद—से मुकाबले के लिए NAM government का समर्थन भी सराहा, और Global South की आवाज़ को एकजुट करने की बात कही । यह राजनीति से थोड़ा उन्नत अर्थव्यवस्था और बुद्धिमत्ता के बीच संतुलन चाहता है।

 

७. रणनीतिक प्रतीकात्मक पहल: सर्वोच्च सम्मान।

नामीबिया की ओर से PM मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान, Order of the Most Ancient Welwitschia Mirabilis से सम्मानित किया गया  । यह सम्मान दोनों देशों के बीच सम्मान और विश्वास का प्रतीक है।

 

८. चुनौतियाँ और “pitfalls”—भारत को किन बाधाओं का सामना करना होगा?

राजनीतिक अस्थिरता: नामीबिया में विपक्षी आरोप और चुनाव विवाद (ballot glitches, voting extension) अभी अदालतों में खिलाफत के लिए चले गए हैं। निवेश सुरक्षा: हालांकि ऊर्जा और खनिज संसाधन में नए अवसर हैं, लेकिन स्थिर संसाधनी नीतियां नहीं होंगी तो निवेश भारतीय उद्योगपतियों को सीमित करेंगी। MOU to Execution: कई बार MOU होती है, पर अमल या नीति में लम्बा समय लग सकता है। यह भारत के लिए निरंतर दृष्टि और व्यापार-प्रोत्साहक समझौतों के बिना अधूरा रह सकता है।

 

९. आगे की राह: एक रोडमैप

शॉर्ट टर्म (६–१२ माह):

  • UPI rollout—सितंबर २०२५ तक।
  • SACU–India PTA पर आगें चर्चा।
  • छोटे विकास परियोजनाएं (agri drones आदि) शुरू।
  • रक्षा और समुद्री सहयोग में व्यावसायिक अभ्यास।

मध्यम अवधि (१–३ वर्ष):

  • निवेश और उत्पादन सुविधाएं।
  • आदिवासी महिला-सशक्तिकरण परियोजनाएं।
  • Big Cat Alliance का अंतरराष्ट्रीय मंच।
  • CDRI- आधारित infrastructure परियोजनाएं।

लम्बी अवधि (३–५ वर्ष):

  • भारत‑नामीबिया को एक मॉडल हेल्थ hub बनाने की दिशा।
  • rare-earth और uranium आधारित हिंद महासागर श्रृंखला में रणनीति।
  • अन्तर्राष्ट्रीय मंचों जैसे NAM, BRICS के माध्यम से संयुक्त Global South आवाज़ विकसित करना।

 

PM मोदी की यह यात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं थी—एक अभियान थी, जिसमें भारत:

  • आर्थिक सुरक्षा से जुड़े संसाधनों तक पहुंच बना रहा है (खनिज, ऊर्जा, डिजिटल वित्त);
  • Global South में राजनीतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन रहा है;
  • और महिला सशक्तिकरण तथा सांस्कृतिक जुड़ाव के बलबूते सामाजिक पहल कर रहा है।

नामीबिया को “valued and trusted partner” कहलाना, सम्मान बनकर वहीं विकास की कुंजी भी बन रहा है । “यह सिर्फ handshake नहीं, bargaining table पर ज़मीनी समझौता है।” PM मोदी–नांदी‑नदैतवाह मुलाकात ने भारत‑नामीबिया संबंधों को एक वाणिज्यिक, सामरिक, सांस्कृतिक, और विश्व‑राजनीतिक चौका दिया है। अब यह पहल किस दिशा में जाकर भारत को मजबूत भागीदार बनाएगी—यह अगले महीनों और वर्षों में तय होग!

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